EFPS और POSO का फुल फॉर्म क्या होता है?

EFPS, POSO Full Form: शिक्षा के क्षेत्र में रिजल्ट या मार्कशीट निकलने पर अक्सर छात्रों को कई ऐसे शॉर्ट फॉर्म देखने को मिलते हैं, जिनके अर्थ उन्हें समझ में नहीं आते। इनमें से EFPS और POSO जैसे शॉर्ट फॉर्म भी शामिल हैं। कई बार छात्र इन शॉर्ट फॉर्म्स को देखकर भ्रमित हो जाते हैं और उन्हें यह नहीं समझ आता कि वे विषय में पास हैं या फेल। आइए, हम इन दोनों शॉर्ट फॉर्म्स के अर्थ को विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं।

EFPS का अर्थ क्या होता है? | EFPS Full Form

EFPS का पूरा नाम “Eligible for Part Second” होता है। इसे हिंदी में “दूसरे भाग के लिए योग्य” के रूप में समझा जा सकता है। यह छात्रों के मार्कशीट में एक टिप्पणी के रूप में दर्ज किया जाता है। शिक्षा प्रणाली में यह शब्द उन छात्रों के संदर्भ में उपयोग किया जाता है जो अपनी वार्षिक या सेमेस्टर परीक्षा में एक या एक से अधिक विषयों में असफल हो गए हैं, लेकिन बाकी सभी विषयों में पास हो गए हैं। ऐसे छात्र कॉलेज या यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित दूसरी परीक्षा में बैठने के लिए योग्य होते हैं। उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए कोई छात्र अपने ग्रेजुएशन के पहले वर्ष में है और कुछ विषयों में असफल हो गया है, जबकि कुछ विषयों में पास हो गया है। इस स्थिति में, यूनिवर्सिटी या कॉलेज उसे एक और मौका देती है ताकि वह उन विषयों में सफल हो सके जिनमें वह पहले असफल हुआ था।

EFPS के लिए कौन से छात्र योग्य हैं? | Which students are eligible for EFPS?

वे छात्र जो अपनी वार्षिक या सेमेस्टर परीक्षा में एक या एक से अधिक विषयों में असफल हो गए हैं, लेकिन अन्य सभी विषयों में पास हैं, EFPS के लिए पात्र माने जाते हैं। कॉलेज इस बात का ध्यान रखते हैं कि अगर असफल विषय आवश्यक नहीं है, तो उनके मार्कशीट पर EFPS अंकित किया जाता है। इसका मतलब है कि ये छात्र कॉलेज द्वारा आयोजित पार्ट सेकंड परीक्षा में शामिल हो सकते हैं, जिससे उन्हें अपने असफल विषयों को पास करने का एक और मौका मिलता है। अर्थात, ये छात्र पूरी तरह से असफल नहीं होते हैं, बल्कि उन्हें अपनी सेमेस्टर परीक्षा को पास करने के लिए एक अतिरिक्त अवसर प्रदान किया जाता है।

POSO का अर्थ क्या है? | POSO Full Form

POSO का पूरा अर्थ “Pass in Optional Subjects Only” है। इसका हिंदी में मतलब है कि केवल वैकल्पिक विषयों में पास होना। यह एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग शिक्षा क्षेत्र में तब किया जाता है जब कोई छात्र एक या एक से अधिक अनिवार्य विषयों में फेल हो जाता है लेकिन वैकल्पिक विषयों में सफल रहता है। इस स्थिति में, छात्र की मार्कशीट में POSO लिखा जाता है, जो दर्शाता है कि छात्र ने केवल वैकल्पिक विषयों में सफलता प्राप्त की है। उदाहरण के लिए, अगर कोई छात्र अपने ग्रेजुएशन के पहले साल में है और उसने वैकल्पिक विषयों में पास किया है लेकिन अनिवार्य विषयों में असफल हो गया है, तो उसकी मार्कशीट पर POSO लिखा जाएगा।

POSO के लिए कौन छात्र योग्य हैं? | Who are the students eligible for POSO?

वे छात्र जो एक या एक से अधिक अनिवार्य विषयों में असफल रहे हैं, लेकिन सभी वैकल्पिक विषयों में पास हुए हैं, उनकी मार्कशीट में POS लिखा जाता है। इन छात्रों को अपनी डिग्री प्राप्त करने के लिए अपने सेमेस्टर या वार्षिक परीक्षा के अनिवार्य विषयों को पास करना आवश्यक है।

EFPS और POSO के बीच अंतर | Difference between EFPS and POSO

EFPS और POSO के बीच अंतर को अक्सर लोग समान मान लेते हैं, लेकिन इनमें महत्वपूर्ण भिन्नताएँ हैं।

EFPS के अंतर्गत, छात्र जिन विषयों में असफल हो जाते हैं, उन्हें फिर से परीक्षा देने का अवसर मिलता है। ये छात्र कॉलेज द्वारा आयोजित सेकंड एग्जाम में भाग लेकर असफल विषयों को उत्तीर्ण कर सकते हैं।

इसके विपरीत, POSO के तहत, छात्र जिनका पास केवल वैकल्पिक विषयों में होता है, उन्हें सभी अनिवार्य विषयों के लिए पुनः परीक्षा देनी पड़ती है। ऐसे छात्र केवल अपने वैकल्पिक विषयों में ही पास हुए होते हैं, और उन्हें अनिवार्य विषयों की परीक्षा फिर से देनी होती है।

EFPS और POSO लिखने के फायदे | Benefits of EFPS and POSO Remarks

  • यह उन छात्रों को एक और अवसर प्रदान करता है जो एक या एक से अधिक विषयों में असफल हो गए हैं।
  • ये छात्र बिना पूरे साल के सेमेस्टर को दोहराए अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं।
  • यह छात्रों के समय और धन की बचत करने में सहायक होता है।
  • यह शिक्षा प्रणाली में ड्रॉपआउट की दर को भी घटाता है।

EFPS और POSO लिखने के नुकसान | Disadvantages of writing EFPS and POSO

कई छात्र इन दोनों विकल्पों पर अत्यधिक निर्भर हो जाते हैं और अपनी पढ़ाई को गंभीरता से नहीं लेते। वे मानते हैं कि कुछ विषयों में पास होने के बाद, वे अगले एग्जाम में बैठकर बाकी विषय भी पास कर लेंगे। इसके अलावा, छात्रों के बीच यह गलत धारणा बन जाती है कि सिर्फ परीक्षा पास करना ही महत्वपूर्ण है, चाहे इसे किसी भी तरीके से हासिल किया जाए। EFPS और POSO जैसे अंक केवल राजस्थान के कॉलेजों में प्रदान किए जाते हैं। अन्य कॉलेजों में इन अंकों का उपयोग नहीं होता, जिससे कुछ छात्रों को इसका लाभ नहीं मिल पाता।

निष्कर्ष | Conclusion

शिक्षा के क्षेत्र में, रिजल्ट या मार्कशीट में अक्सर ऐसे शॉर्ट फॉर्म होते हैं जिनके मतलब को समझना छात्रों के लिए कठिन हो सकता है। इस लेख को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद। हमें उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा और आपने इससे EFPS, POSO Full Form जान लिए होंगे। यदि आपको इस लेख में कहीं भी किसी भी प्रकार की कठिनाई होती है, तो कृपया हमारे द्वारा दिए गए टिप्पणी बॉक्स में संदेश करें। हम आपकी समस्याओं का समाधान करने की पूरी कोशिश करेंगे।

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